*बाबा जी के सान्निध्य में 18 वर्षों से जुड़े दीपक आचार्य द्वारा संकलित विशेष लेख*

(अवतरण दिवस पर जीवन और तप का साक्ष्य आधारित वर्णन)

रायगढ़/ 12 जुलाई 1984 — यह तिथि केवल एक जन्म की नहीं, बल्कि तप और त्याग के प्रतीक, श्री श्री 108 तपस्वी सत्यनारायण बाबा जी के अवतरण का दिन है। आज, जब बाबा जी 41 वर्ष के हो गए हैं, वे पिछले 27 वर्षों से हठयोग की कठोरतम साधना में लीन हैं, और बिना स्थान छोड़े हुए निरंतर एक ही स्थान पर तपस्यारत हैं।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ ज़िले के कोसमनारा (टिकरानुमा स्थल) में स्थित तपोभूमि आज एक आध्यात्मिक तीर्थ बन चुकी है, जहाँ लाखों श्रद्धालु बाबा जी के दर्शन मात्र से जीवन धन्य मानते हैं।
*एक विलक्षण तपस्वी जीवन*
बाबा जी ने 16 फरवरी 1998 को मात्र 13 वर्ष की उम्र में, घर से स्कूल जाने के लिए निकले और फिर लौटे नहीं। वे सीधे इस तपोभूमि पहुँचकर एक पत्थर को शिव मानते हुए अपनी जिह्वा अर्पित कर दी और “ॐ नमः शिवाय” के अखंड जाप में लीन हो गए।
तब से आज तक — न गर्मी, न बारिश, न ठंडी — कोई भी मौसम उनकी तपस्या को रोक नहीं सका।
इतना ही नहीं, बाबा जी को किसी ने आज तक स्थानीय आवश्यकताओं के लिए भी उठते नहीं देखा। यह चमत्कारी स्थिति देश-विदेश के वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, मीडिया और दार्शनिकों के लिए भी रहस्य बनी हुई है।
*विश्व में ख्याति प्राप्त तीर्थ*
आज बाबा जी की ख्याति भारत से निकलकर दुनियाभर में फैल चुकी है। उनके अनुयायियों की संख्या लाखों में है जो हर वर्ष गुरुपूर्णिमा, महाशिवरात्रि, सावन, और 16 फरवरी स्थापना दिवस जैसे पर्वों पर दर्शन हेतु कोसमनारा पहुँचते हैं।

*दीपक आचार्य: एक सेवक, एक साक्षी*
मैं दीपक आचार्य, वर्ष 2007 से बाबा जी के सान्निध्य में सेवा में हूँ।
उनके तप और जीवन की सच्ची जानकारी जनमानस तक पहुँचाने के लिए मैंने उनके गृहग्राम डूमरपाली, भूपदेवपुर (मामाघर) और उन सभी स्थलों का भ्रमण किया, जहाँ से उनका आध्यात्मिक जीवन शुरू हुआ।
वर्ष 2007 में मैंने बाबा जी पर पहला भक्ति गीत तैयार किया, जिसमें पर्यावरण जागरूकता को भी जोड़ा गया। उस समय के वनमंडलाधिकारी श्री के.के. बिसेन के सहयोग से प्रसाद के साथ एक पौधा वितरण की परंपरा शुरू हुई। वे पौधे आज बाबाधाम में विशाल वृक्ष बन चुके हैं।
बाबा जी के जीवन पर बना मेरा पहला वीडियो एलबम “दर्शन करले नाम तो जपले” आज भी Deepak Acharya Official यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध है, जिसे अब तक 12 लाख से अधिक लोग देख चुके हैं।
बाद में कई और भक्ति एल्बम, डॉक्यूमेंट्री और वेबसाइट बनाकर मैंने उनके तप को लोक तक पहुँचाने का विनम्र प्रयास किया।

*श्री सत्यनारायण बाबा जी: संक्षिप्त जीवन परिचय*
सत्यनारायण बाबाजी अवतरण तिथि: 12 जुलाई 1984 है
बचपन का नाम हलधर था पिता दयानिधि,माता हंसमती,भाई गोपाल,बहन गणेशी है,भाई बहु और 2 भतीजे नटराज और नीलकंठ हैं उन्होंने तपस्या आरंभ 16 फरवरी 1998 को स्थान कोसमनारा रायगढ़ (छत्तीसगढ़) में की।
*श्रद्धा, तप और शिवत्व का प्रतीक*
बाबा जी को उनके अनुयायी शिव स्वरूप मानते हैं। उनकी मौन उपस्थिति, आशीर्वादस्वरूप तिलक और ध्यानस्थ स्थिति भक्तों के लिए ईश्वर-साक्षात्कार के समान है।
उनकी साधना आज के भौतिक युग में आध्यात्मिकता का जीवंत उदाहरण है।

लेख प्रस्तुति:
दीपक आचार्य
(2007 से श्री सत्यनारायण बाबा जी के सान्निध्य में समर्पित सेवक)
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