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Monday, December 23, 2024

*बस्तर : पत्रकारों के खिलाफ साजिश रचने वाले कोंटा थाना प्रभारी अजय सोनकर के खिलाफ गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज कर भेजा गया जेल…*

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*जिस होटल में रुके थे चारो पत्रकार वहां की सीसीटीवी फुटेज के साथ टीआई किया छेड़छाड़….*

*छत्तीसगढ़ और आंध्र की बॉर्डर क्षेत्र में रेत की अवैध तस्करी का भांडा फूटने के डर से थाना प्रभारी ने रची थी गहरी साजिश…*

सुकमा, 13 अगस्त 2024: सुकमा जिले में एक अत्यधिक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार, 10 अगस्त 2024 को सुकमा  जिले के कोंटा थाना प्रभारी अजय सोनकर ने आंध्र प्रदेश के चिंतूर पुलिस की गतिविधियों की जानकारी मिलने के बाद आर.एन.एस. लॉज में जाकर वहां के सीसीटीवी फुटेज और वीडियोग्राफी को जबरन अपने कब्जे में लिया। यह कदम न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन मानते हुए अनैतिक और अवैध ठहराया जा रहा है।

घटना का प्रकरण तब शुरू हुआ जब 7 अगस्त 2024 को इरशाद खान पिता रऊफ खान निवासी कोटा, और अन्य संदिग्ध व्यक्तियों ने कथित तौर पर कोटा और आस-पास के क्षेत्रों में अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया। 9 अगस्त को इरशाद के परिवार के लोग एक विवाद में शामिल हुए, जिसके बाद पुलिस ने उनसे पूछताछ की। 

10 अगस्त की रात, थाना प्रभारी अजय सोनकर ने बिना किसी वैध वारंट के आर.एन.एस. लॉज में पहुंचकर वहां लगे सीसीटीवी फुटेज को कब्जे में लिया, जबकि भारतीय न्याय प्रणाली के तहत किसी भी जांच प्रक्रिया में ऐसे कदम उठाने के लिए कानूनी अनुमति आवश्यक होती है।

इरशाद खान के खिलाफ पहले से कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें कोटा थाना, तेलंगाना राज्य के थानों में भी अपराध शामिल हैं। इन मामलों में धारा 294, 323, 506 जैसी धाराएं लगी हुई हैं। पुलिस का दावा है कि इरशाद और उसके साथियों द्वारा क्षेत्र में कई गंभीर अपराध किए गए हैं।

हालांकि, पुलिस की इस कार्रवाई पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि सीसीटीवी फुटेज को कब्जे में लेने की प्रक्रिया पूरी तरह से अनधिकृत और गैरकानूनी मानी जा रही है। इस घटना के प्रकाश में आने के बाद पुलिस अधीक्षक सुकमा ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं और आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।

थाना प्रभारी अजय सोनकर के खिलाफ मामला दर्ज कर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है। अब इस मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि पुलिस ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है या नहीं। इस घटना ने सुकमा जिले में पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी प्रश्नचिह्न लगाया है।

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