1.1 C
Munich
Monday, December 23, 2024

अष्टमहालक्ष्मी मंदिर पंडरीपानी में प्राचीन सप्ततीर्थ कूप में जजमान के स्नान करने से होती है ग्रह दोष की शांति-पंडित रविभूषण शास्त्री

Must read

पंडितों के मंत्रोच्चरण से अष्ट महालक्ष्मी मंदिर में छत्तीसगढ़ वॉइस न्यूज़ पोर्टल का हुआ विमोचन

रायगढ महालक्ष्मी मंदिर पंडरीपानी में न्यूज़ पोर्टल छत्तीसगढ़ वाइस का विमोचन किया गया विमोचन दौरान पंडित रवि भूषण शास्त्री जी ने मंत्रोच्चरण के साथ महालक्ष्मी मैया की स्तुति एवं महादेव जी का जयकारा करते हुए सांकेतिक विमोचन किया वही छत्तीसगढ़ वॉइस न्यूज़ पोर्टल के ब्यूरो हेड दीपक आचार्य को बधाई शुभकामनाएं देते हुए आशीर्वाद प्रदान किया विमोचन दौरान मंदिर के समस्त पंडित तथा मिनकेतन डनसेना,शौर्य आचार्य एवं श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।

गजमार पहाड़ी के पीछे ग्राम पंडरीपानी में हरियाली से आच्छादित महालक्ष्मी मंदिर जहाँ स्वयं माँ लक्ष्मी विराजी हुई हैं मंदिर में प्रवेश करते ही अलग अनुभूति होती है वही माता के ज्यो ही दर्शन होते है तो हमारे दोनों हाथ स्वमेव माता की ओर आश्रित एवं भावपूर्ण आगे हो जाते हैं लगता है आज हमारे समस्त दुःख कष्ट माँ लक्ष्मी हर ही लेगी।

क्षेत्र के एकमात्र महालक्ष्मी मंदिर से वहाँ से संबंधित तमाम जानकारियों के लिये हमने वरिष्ठ महाराज पंडित रविभूषण शास्त्री जी से चर्चा की तो अद्भुत जानकारियां सामने आई,उन्होंने बताया कि मेरा घर आरम्भ से ही एक मंदिर है वहाँ हमे माता पिता से संस्कार ही ऐसे मिले की हमारे जीवन का एक उद्देश्य ईश्वर की सेवा करनी है,नर्सिंग मंदिर जहां हम रहते थे जो नया गंज सोनार पारा के मध्य स्थित है बचपन से ही नर्सिंग भगवान ,जगन्नाथ महाप्रभु की पूजा अर्चना किया ततपश्चात ज्योतिष शास्त्र के शिक्षा हेतु बनारस, जम्मू कश्मीर इत्यादि स्थानों में अध्ययन किया,वहाँ से आने के बाद पंडरीपानी स्थित महालक्ष्मी मंदिर की नींव 2017 में रख निर्माण कार्य आरंभ किया जो 2023 में पूर्ण हुआ और माता कृपा से प्राणप्रतिष्ठा 6 दिसंबर से 10 दिसंबर के शुभ मुहूर्त में किया गया।

शास्त्री जी ने बताया कि मंदिर में 10 महाविद्या तारा,काली,छिन्नमस्ता,षोडसी,भुवनेश्वरी,त्रिपुरभैरवी,धूमावती,बगुलामुखी,माँ मातंगी,माँ कमला हैं,वही माँ कमला माँ विमला माँ मंगला और भैरव बाबा भी विराजे हैवैष्णवदेवी धाम से 3 पिंडी महालक्ष्मी,महाकाली,महासरस्वती लाकर स्थापित किया गया है ,वही 12 गजदेवता है सीढ़ी के द्वार में बैठे हैं माता के द्वारपाल -जय विजय हैं तो द्वार में गजलक्ष्मी बैठी हैंमंदिर में 11 छोटा गुम्बज और बड़ा नीलचक्र स्थापित है,शास्त्री जी ने बताया कि मंदिर प्रांगण में प्राचीन प्राकृतिक कुआ है, जिसे सप्ततीर्थ कूप कहते है जिसमे जजमान को स्नान कराने से ग्रह दोष की शांति होती है।मंदिर के नीचे भवन का नाम प्रियंबदा भवन है,निर्माण कार्य हेतु कारीगर – जयपुर उड़ीसा राजस्थान से आये थे वही माँ महालक्ष्मी मूर्ति को उड़ीसा के पद्मश्री प्रभाकर महाराणा ने बनाकर जीवंत कर दिया मै उस अद्भुत कलाकार को हृदय से प्रणाम करता हुँ।

- Advertisement -spot_img

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article